Wednesday, 16 September 2020

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'मुकेश मिल' का नाम सुनते ही डर जाता है बॉलीवुड...

बॉलीवुड में हॉरर और थ्रिलर फिल्मों की शूटिंग के लिए मुम्बई के मुकेश मिल को बेस्ट माना जाता है। डर, अंधेरा, सुनसान, खौफ और सिहरन का सामना फिल्म की शूटिंग के दौरान कई कलाकार और यूनिट के लोग कर चुके हैं। जानें मुकेश मिल से जुड़े किस्से जो खुद ये कलाकार बयां करते हैं : बिपाशा बासु फ़िल्म गुनाह की शूटिंग करते वक़्त बिपाशा बासु कभी अकेले सोना पसंद नहीं करता थीं क्योंकि कभी उन्हें अपने कमरे में किसी के होने का अहसास होता तो कभी किसी साये का। इस फ़िल्म के दौरान वो डॉयलाग याद नहीं कर पा रही थी लेकिन जब उन्होंने कमरा बदल लिया तो उन्हें डॉयलाग याद होना शुरू हो गये। लोगों का कहना है कि जिस मुकेश मिल में फ़िल्म की शूटिंग हो रही थी वहां बहुत लोगों की आकस्मिक मौत हो गई थी। इसके बाद वहां हुए कुछ हादसों के बारे में पता चला, जिसमें कुछ लोगों की मौत तक हो गई थी। खैर, बात आई गई हो गई। करीब 10 दिनों बाद वहां एक लड़की दूसरी टीम के साथ शूटिंग के लिए आई तो उसे भूत ने पकड़ लिया। वह इतनी डरावनी लगने लगी कि यूनिट वालों के रोंगटे खड़े हो गए। वह लड़की हॉरर फिल्मों से कहीं ज्यादा डरावने तरीके से पेश आने लगी, जिसे देखकर पूरी टीम घबड़ा गई और इधर-उधर भागने लगी। कुछ देर बाद वह लड़की बेहोश हो गई और बाद में पता चला कि हॉस्पिटल में उसकी मौत हो गई। ये सुनने के बाद बिपाशा ने कसम खा ली कि फिर कभी भी मुकेश मिल में वह शूटिंग नहीं करेंगी। इमरान हाशमी फिल्म राज-द मिस्ट्री कंटीन्यूज की शूटिंग भी  मुकेश मिल मे ही हुई थी। कंगना रानाउत ,इमरान हाशमी और अध्ययन सुमन को भी शूटिंग के दौरान कई बार किसी साये के आस पास होने का अहसास होता रहता था। फरदीन खान मुकेश मिल में रात में शूटिंग करने वालों के पास कोई न कोई किस्सा बताने के लिए है। युवा निर्देशक रेंसिल डिसिल्वा बताते हैं, ''मिल में चिमनी के पास पीपल का एक पेड़ है। कहा जाता है कि वहां भूत-प्रेत रहते हैं। एक खिलाड़ी एक हसीना फिल्म की शूटिंग के समय फरदीन खान ने कहा कि यूनिट का कोई भी शख्स यदि अकेले चिमनी के पास चला जाएगा तो वे उसे दस हजार रूपए नकद देंगे, लेकिन कोई वहां जाने की हिम्मत न कर सका। कामया पंजाबी टीवी एक्ट्रेस कामया पंजाबी टीवी के सीरियल बनूं मैं तेरी दुल्हन के अपने कमबैक सीन की शूटिंग कर रही थी। रात के आठ बजे थे। किसी ने आकर बताया कि मिल में दूसरी तरफ एक लड़की है। वह अजीब आवाज में बोल रही है कि यहां से चले जाओ। मेरी जगह है। मेरे डायरेक्टर और यूनिट के लोग उसे देखने गए। मैं भी जाने वाली थी, लेकिन मैं एक भयानक सीन अपने मन में नहीं बैठाना चाहती थी। वहां मेरी कई चीजें भी गायब हो गईं।'' वरुण धवन और यमी गौतम
फिल्म बदलापुर के कई सीन मुकेश मिल में ही फिल्माए गए। इस दौरान वरुण धवन और यमी गौतम को किसी के पास होने का एहसास हो रहा था। जिसकी वजह से दोनों हमेशा ही साथ रहते थे। सीरियल की शूटिंग हॉन्टेड सीरियल की शूटिंग के दौरान यूनिट की एक लड़की में आत्मा घुस गई और सब को वहां से तुरंत जाने को कहा गया। लोगों के अनुसार वो आवाज़ किसी आदमी की तरह थी। जिसके बाद तुरंत पैकअप किया गया। अमिताभ बच्चन फिल्म 'हम' के गाने चुम्मा चुम्मा दे दे की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन और अभिनेत्री किमी को भी किसी आत्मा के आस-पास होने का एहसास हो रहा था। मुकेश मिल कैसे बना भूतहा मुकेश मिल का निर्माण 1852 में हुआ था। दस एकड़ की जमीन पर बनी इस मिल में कपड़े बनते थे। 1970 में मुकेश मिल शॉट सर्किट की वजह से पहली बार आग में झुलसी थी, लेकिन दो साल बाद मिल फिर से सुचारू रूप से चलने लगी। लगभग एक दशक बाद जब दोबारा यह मिल आग की चपेट में आयी तो संवर और संभल न सकी। इस बार आग की लपटें इतनी तेज और भयावह थीं कि मुकेश मिल का लगभग हर कोना कालिख में सन गया। कपड़े बनाने की मशीनें जल गईं, मिल की ऊंची दीवारें ध्वस्त हो गईं और साढ़े तीन हजार लोग अचानक बेरोजगार हो गए। मुकेश मिल खंडहर में तब्दील हो गयी। 1984 से मुकेश मिल को फिल्मों की शूटिंग के लिए किराए पर दिया जाने लगा। मिल खंडहर बन चुकी थी, इसलिए हॉरर और थ्रिलर फिल्मों की शूटिंग यहां तेजी से होने लगी और कुछ ही समय में मुकेश मिल इस किस्म की फिल्मों के लिए परफेक्ट लोकेशन बन गई। इन फिल्मों की शूटिंग हुई है यहां मुकेश मिल में कई फिल्मों, म्यूजिक वीडियो, सीरियल और विज्ञापनों की शूटिंग हो चुकी है। हाल के वर्षो में भूतनाथ, राज-द मिस्ट्री, कुर्बान, जश्न, राज-द मिस्ट्री कंटीन्यूज, एसिड फैक्ट्री, एक खिलाड़ी एक हसीना, दस कहानियां, आवारापन, हे बेबी, ट्रैफिक सिग्नल फिल्मों की शूटिंग यहां हुई।

Thursday, 3 September 2020

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बालाजी के इस धाम में भूलकर भी न करें ये काम, नहीं तो हो जाएंगे बर्बाद

मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

हमारे देश में बालाजी के अनेक मंदिर हैं। लेकिन आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, उसके बारे में मान्यता है कि जिनके ऊपर काली छायी और प्रेत बाधा का साया रहता है, उनसे मुक्ति पाने के लिए इस मंदिर में आते हैं। इस मंदिर का नाम है मेंहदीपुर बालाजी। बताया जाता है कि यहां पहुंचते ही बुरी शक्ति जैसे भूत, प्रेत, पिशाच खुद ही डर से कांपने लगते हैं।


यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। बताया जाता है कि मेहंदीपुर धाम मुख्यत: नकारात्मक शक्ति एवं प्रेतबाधा से पीड़ित लोगों के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि नकारात्मक शक्ति से पीड़ित लोगों को यहां शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है।


लड्डू से प्रसन्न हो जाते हैं बालाजी

बताया जाता है कि यहां बालाजी के सीने के बाईं ओर एक छोटा-सा छिद्र है। इसमें से जल बहता रहता है। बालाजी के दरबार में जो भी आता है, वह सुबह और शाम की आरती में शामिल होकर आरती के छीटें जरूर लेता है। माना जाता है कि ऐसा करने पर रोग मुक्ति और ऊपरी चक्कर से रक्षा होता है।


बताया जाता है कि इस मंदिर में 3 देवता विराजमान हैं, बालाजी, प्रेतराज और भैरव। इन तीनों देवताओं को विभिन्न प्रकार के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। बालाजी महाराज लड्डू से प्रसन्न हो जाते हैं। वहीं भैरव जी को उड़द और प्रेतराज को चावल का भोग लगाया जाता है।


एक सप्ताह पूर्व बंद करना होता है इनका सेवन

बालाजी के धाम की यात्रा करने से कम से कम एक सप्ताह पूर्व प्याज, लहसुन, मदिरा, मांस, अंडा और शराब का सेवन बंद कर देना पड़ता है। कहा जाता है कि बालाजी को प्रसाद के दो लड्डू अगर प्रेतबाधा से पीड़ित व्यक्ति को खिलाया जाए तो उसके शरीर में स्थित प्रेत को भयंकर कष्ट होता है और वह छटपटाने लगता है।


घर नहीं ले जा सकते यहां का प्रसाद

आमतौर पर मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद लोग प्रसाद लेकर घर आते हैं लेकिन मेंहदीपुर बालाजी मंदिर से भूलकर भी प्रसाद को घर नहीं लाना चाहिए। ऐसा करने से आपके ऊपर प्रेत साया आ सकता है। बालाजी के दर्शन के बाद घर लौटते वक्त यह देख लेना चाहिए कि आपकी जेब या बैग में खाने-पीने की कोई भी चीज न हो। यहां का नियम है कि यहां से खाने पीने की कोई भी चीज घर लेकर नहीं जाना चाहिए।

ब्रह्मचर्य का करें पालन

बताया जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालु जितने समय तक बालाजी की नगरी में रहता, उसे ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। कहा जाता है कि जो भी यहां के नियमों का पालन नहीं करता है, उसे पूरा फल नहीं मिलता और अनिष्ट की आशंका बनी रहती है।


यहां के प्रसाद को कहते हैं दर्खावस्त

बताया जाता है कि यहां पर चढ़ने वाले प्रसाद को दर्खावस्त या अर्जी कहते हैं। मंदिर में दर्खावस्त का प्रसाद लगने के बाद वहां से तुरंत निकलना होता है। जबकि अर्जी का प्रसाद लेते समय उसे पीछे की ओर फेंकना होता है। प्रसाद फेंकते वक्त पीछे की ओर नहीं देखना चाहिए।