Thursday, 25 March 2021

jai baan toop story

इस तोप से निकले गोले ने धरती को फाड़कर बना दिया था तालाब, नाम से ही कांप जाते थे 

नई दिल्ली। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हमारे देश का इतिहास जितना शक्तिशाली है, उतना ही समृद्ध हमारे देश के राजा-महाराजाओं की गौरव-गाथा भी है। आज हम आपको राजा सिंह द्वारा बनाए गए जयगढ़ के किले की एक बेहद ही खास चीज़ से रूबरू कराने जा रहे हैं। दरअसल आज हम आपको जयबाण तोप के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस किले के डूंगर दरवाजे पर रखा हुआ है। इस तोप की कुल लंबाई करीब 32 फीट है। जयबाण तोप के बारे में कहा जाता है कि यह एशिया का सबसे बड़ी तोप है।

50 टन वज़नी यह तोप 35 किलोमीटर की दूरी पर खड़े अपने दुश्मनों के चीथड़े-चीथड़े करने में माहिर थी। जयबाण तोप की शक्ति का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इससे एक बार फायर करने के लिए 100 किलो गन पाउडर खर्च हो जाता था। जयबाण तोप के बारे में चाकसू का किस्सा सबसे यादगार है। जयपुर से करीब 35 किमी दूर स्थित इस कस्बे में जयबाण तोप से निकला एक गोला आ गिरा था। जिस जगह पर वह गोला गिरा था, वहां इतना बड़ा गड्ढा हो गया कि एक तालाब बन गया था।

इस तोप में इस्तेमाल किए जाने वाले गोले बनाने के लिए भी एक खास तरह का उपकरण इस्तेमाल किया जाता था। जयबाण में इतनी जगह है कि उसमें 8 मीटर लंबे बैरल भी आसानी से रखे जा सकते थे। जयबाण के बारे में इतिहासकारों का कहना है कि असाधारण वज़न होने की वजह से ये कभी किले से बाहर नहीं निकल पाया। इतना ही नहीं इसका इस्तेमाल कभी भी किसी युद्ध में नहीं किया गया था। जयगढ़ किले में मौजूद जयबाण तोप के बारे में आपको वहां सभी जानकारियां मिल जाएगी। अरावली की पहाड़ियों में बसा देश का एतिहासिक जयगढ़ किला साल 1726 में बना था। यह किला बाहर से देखने में जितना शानदार है, अंदर से इसका नज़ारा उतना ही ज़बरदस्त है।

Wednesday, 10 March 2021

Codex gigas haunted book

आज हम आपको एक ऐसी किताब के बारे में बताने वाले हैं जो शैतान द्वारा लिखीं गई है और वो भी सिर्फ एक रात में!! जानकर चौंक गए ना, तो आइये दोस्तों अब हम जानते हैं, इसके पीछे का रहस्य। आज में जिस किताब की बात करने वाला हूं उस किताब का नाम है “कोडेक्स गिगास”.जिसे शैतान की बाइबल भी कहा जाता है। Codex Gigas के रहस्य को जानकर खुद वैज्ञानिक भी हैरान हैं।इस किताब को 13 वी शताब्दी में बोहेमिया में बनाया गया था। इस किताब की खास बात यह है कि ये किताब 160 प्रकार के चमड़े के उपर लिखीं गई है। आखिर ये कैसे मुमकिन है? ये करना इंसान के बस की बात नहीं है। और वो भी उस वक्त जब कोई प्रसाधन नहीं थे। ये किताब देखने भी काफ़ी बड़ी है। कोडेक्स गिगास का वजन करीब 74.8 किलोग्राम हैं। इसे उठाने के लिए कम से कम दो लोगों की जरूर पडती है।

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1877 में Codex Gigas को स्टोकहोम स्वीडन के राष्ट्रीय पुस्तकालय में संग्रहित किया ग या है। इसे दुनिया में सबसे बड़ा मौजूदा मध्ययुगीन प्रकाशित पांडुलिपि, 92 सेमी की लंबाई में है।  शैतान के बहुत ही असामान्य पूर्ण-पृष्ठ चित्र और इसकी रचना के कारण इसे बेहद ही अजीब माना जाता है। 16 वीं शताब्दी के अंत में, कोडेक्स को हैब्सबर्ग शासक रूडोल्फ II के संग्रह में शामिल किया गया था।  तीस साल के युद्ध (1648) के अंत में प्राग के स्वीडिश घेराबंदी के दौरान, पांडुलिपि को युद्ध लूट के रूप में लिया गया और स्टॉकहोम में स्थानांतरित कर दिया गया।

 किताब को किसने लिखा था? और क्यों?

पौराणिक कथा के अनुसार इस पांडुलिपि को शैतान के साथ ऐक समझोते से बनाई गई थीं। 

हुआ यूं था कि हरमन द रिक्ल्यूज नामक एक भिक्षु को इसे बनाने का आदेश दिया गया है। क्योंकि मठ वालों ने मठ की प्रतिज्ञा को तोडने के लिए हरमन को मौत की सजा सुनाई थी। लेकिन उसने कहा कि मुझसे गलती हो गई और इतनी बड़ी सजा तुम नहीं दे सकते। तो मठाधीशों ने ये फैसला किया कि इसे पांडुलिपि की किताब लिखने को दी जाए और वो भी एक ही दिन में। लेकिन एक दिन में पूरी किताब लिखना असंभव है। और मठवालों ने ये भी कहा कि अगर भिक्षु ये नहीं कर पाता तो उसे मौत की सजा मिलेगी।

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निराश होकर भिक्षु ने शैतान का आह्वान किया और शैतान को बुलाया। शैतान जब प्रगट हुआ तो उसने कहा कि क्या चाहीये बोलों, तुम्हारी जो भी इच्छा होगी वो में पूरी करुंगा लेकिन बदले में मुझे तुम्हारी आत्मा चाहिए। भिक्षु ने हाँ कहकर शैतान से समझोता कर लिया। फिर उसके बाद उसी रात में शैतान ने पूरी किताब जानवर के खाल से बने पतों पर लिख दी। उसके बाद सुबह भिक्षु ने उस किताब को मठवालों को दे दी। वो लोग समज नहीं पाए कि कैसे भिक्षु ने एक ही रात में ये किताब लिख दी। लेकिन उस दिन के बाद भिक्षु को सजा से मुक्ति मिल गई। इस किताब में शैतान के कई चित्रों को चित्रित किया गया है। इस किताब में भूत प्रेत, जादू के मंत्र,बोहेमियन लोगों की सूची और वहां के संतो द्वारा दिए गए सूचन लिखें गयें है।

यह 13 वीं शताब्दी की शुरुआत में बोहेमिया में पोदलाज़िस के बेनेडिक्टिन मठ में बनाया गया था, जो आधुनिक चेक गणराज्य में एक क्षेत्र है। इसमें पूरा वुलगेट बाइबिल और अन्य लोकप्रिय रचनाएँ शामिल हैं, जो सभी लैटिन में लिखी गई हैं। ओल्ड एंड न्यू टेस्टामेंट्स के बीच अन्य लोकप्रिय मध्ययुगीन संदर्भ कार्यों का चयन होता है: जोसेफस की एंटीक्विटीज ऑफ द यहूदियों और डी बेलो आयोडिको, सेविले के एन्साइक्लोपीडिया ईटमोलोगिया के कोसिड, कोस्मस ऑफ प्राग, और चिकित्सा कार्य; ये अर्स मेडिसिन के ग्रंथों का एक प्रारंभिक संस्करण हैं, और कॉन्स्टेंटाइन द अफ्रीकन की दो पुस्तकें हैं।

अंततः प्राग में रुडोल्फ II की शाही लाइब्रेरी के लिए अपना रास्ता तलाशते हुए, पूरे संग्रह को तीस साल के युद्ध के दौरान 1648 में स्वीडिश द्वारा युद्ध की लूट के रूप में लिया गया था, और पांडुलिपि अब स्टॉकहोम में स्वीडन के नेशनल लाइब्रेरी में संरक्षित है। यह आम जनता के लिए प्रदर्शन पर है।

बहुत बड़े प्रबुद्ध बाईबिल रोमनस्क्यू मठवासी पुस्तक उत्पादन की एक विशिष्ट विशेषता थे, लेकिन इस समूह के भीतर भी कोडेक्स गिगास का पृष्ठ-आकार असाधारण है।