Sunday, 18 April 2021

story of prithvi raj chauhan

चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान'


ये दोहा चंद्रवरदाई ने पृथ्वीराज चौहान को संकेत देने के लिए कहा था. जैसे ही इस दोहे को सुनकर मोहम्मद गोरी ने 'शाब्बास' बोला. वैसे हीं अपनी दोनों आंखों से अंधे हो चुके पृथ्वीराज चौहान ने गोरी को अपने शब्दभेदी बाण के द्वारा मार डाला.

वहीं दुखद ये हुआ कि जैसे ही मोहम्मद गोरी मारा गया उसके बाद ही पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई ने अपनी दुर्गति से बचने की खातिर एक-दूसरे की हत्या कर दी.  इस तरह पृथ्वीराज ने अपने अपमान का बदला ले लिया. वहीं जब पृथ्वीराज के मरने की खबर  संयोगिता ने सुनी तो उसने भी अपने प्राण ले लिए. अफगानिस्तान के गजनी शहर के बाहरी क्षेत्र में पृथ्वीराज चौहान की समाधि आज भी  है, अफगानिस्तान में 800 साल से राजपूत शासक पृथ्वीराज चौहान की समाधि को शैतान बताकर और उस पर जूते मारकर अपमानित करते थे, जिसके बाद भारत सरकार ने उनकी अस्थियां भारत मंगवाने का फैसला किया था.

बता दें, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लोगों की नजरों में मोहम्मद गोरी हीरो बना हुआ है. जबकि पृथ्वीराज चौहान को अपना दुश्मन मानते हैं. चुकी पृथ्वीराज चौहान ने गोरी की हत्या की थी. यही वजह है कि पृथ्वीराज चौहान की समाधी को वे लोग तिरस्कार भरी नजरों से देखते हैं.

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